रविवार, 8 दिसंबर 2013

नहीं है ...

इसे तो सबको एक दिन छोड़ना ही है 
ये दुनिया है तेरा घर बिलकुल नही है ... 
मज़ा तो खुद से खुद को लूटने में है 
किसी और को लूटना अच्छा बिलकुल नही है ...
मेरी कोशिश से वो बदलेगा एक दिन 
ये मेरा वादा है दावा बिलकुल नही है ... 
मिलेगा एक दिन आफताब हमें 
ये हौसला है ख्वाब बिलकुल नहीं है .... 
जिसे देख कर आ जाता है चेहरे पर नूर 
वो दिल्लगी है दिल की लगी बिलकुल नहीं है ... 
उसने मुझे सब कुछ दिया है इस जहां में 
वो मेरी माँ है दूसरा बिलकुल नही है ... 

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