बुधवार, 26 जून 2013

तनाव....

तनाव की लिखावटें...
अक्सर अजीब होती हैं ...
काँपती सी और कुछ उलझी हुई..
उनमें कहीं कहीं शब्द छुट जाते हैं ..
कटिंग होती है..
और सहायक क्रिया नहीं होती है
सबसे अजीब होता है ..
सपनों का मरना ..
एक दोस्त पाठ को बदल कर कहता है ..
खतरनाक है सपनों का बिखर जाना ..
दूसरा दोस्त पाठ को फिर बदलता है ..
कहता है उससे अधिक खतरनाक है ..
सपनों का बिक जाना ..
वह सब कुछ बेच सकता है ..
अपनी जमीर, अपना जहाँ..
यहाँ तक कि अपना स्वप्न ..
दिमाग रह रह कर सोचता है ..
माथे पर सिलवटें बढती जाती है ..
शायद तनाव भारी पड़ता है ..
जिंदगी यूँ ही गुजरती है ..
तनाव में ..
रह जाता है सिर्फ तनाव, तनाव, तनाव ...

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