शनिवार, 15 जून 2013

सूनापन ..

रात में, मैं कतई अकेला होता हूँ.. 

और निर्जन अकेले में जो सभा जुटती है ..


उसमे जो  कहते - कहते थकता नहीं है.


और सुनते - सुनते चीखने नहीं लगता है . 


वह केवल में ही होता हूँ...


क्यूंकि, मुझे अपने हिस्से करने आते हैं ..


और बांटने के सिवाय हार के और क्या है..


मेरे साथियों के पास ...


मेरे लिए कोई नहीं जी सकता ..


सब अपने लिए .. आकर जाने की तयारी करते हैं..  ..


रात में, मैं कतई अकेला होता हूँ..

1 टिप्पणी: